वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />८ जनवरी, २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />हम दुत्कारे पहले घर के, कौन करे निरवैर।<br />~ संत बुल्ले शाह<br /><br />उलटे होर ज़माने आए<br /><br />उलटे होर ज़माने आए।<br />काँ गालड़ नूँ मारन लग्गे,<br />चिड़िआँ जुरे खाए।<br />उलटे होर ज़माने आए।<br /><br />इराकिआँ नूँ चाबक पैदे,<br />गधो खूत खवाए<br />उलटे होर ज़माने आए।<br /><br />अगले जाए बकाले बैठे,<br />पिछरिआँ फरश वछाए।<br />उलटे होर ज़माने आए।<br /><br />बुल्ला हुकम हजूरों आया,<br />तिस नूँ कौण हटाए।<br />उलटे होर ज़माने आए।<br />~ संत बुल्ले शाह<br /><br /><br />प्रसंग:<br />बाबा बुल्लेशाह कह रहे है "हम दुत्कारे पहले घर के, कौन करे निरवैर"। इन पंक्तियों में "पहले घर" से क्या आशय<br />है?<br />हमारा असली घर कहाँ है?<br />कबीर साहब ने अपना घर किसे बताया है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते